नवादा में नई तकनीक से धान की खेती करने के लिए बढ़ी डिमांड, उत्पादन में दुगना बढ़ोतरी
परंपरागत खेती से बढ़ जाती है लागत
कादो के लिए जरूरी पर्याप्त पानी के अभाव में रोपनी में विलंब होने से एवं कम पौधे रोपने से उपज बहुत घटती है और लाभ कम हो जाता है. वर्षा आधारित एवं नहर आश्रित धान के क्षेत्रों में यह समस्या गंभीर है. प्रयोगों से यह भी सिद्ध हो चुका है कि जिन खेतों में कादो करके धान की बुआई या रोपनी होती है, वहां भूमि की भौतिक दशा रबी फसल के लिए अच्छी नहीं रहती और उपज कम हो जाती है. अतः परंपरागत तौर की नर्सरी उगाने और कादो करके रोपनी करने के विपरीत धान में शून्य जुताई तकनीक अपनाने से लागत में भारी कमी की जा सकती है. समय से खेती करके उच्च उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. फसल लगाने के लिए कादो करने मे ज्यादा पानी की निर्भरता खत्म हो जाती है.
कौन सी मशीन बुआई के लिए उपयुक्त
गेहूं की बुआई के लिए प्रयोग में लायी जाने वाली जीरो टिलेज ड्रिल अथवा मल्टीक्रॉप जीरो टिलेज ड्रिल को धान के लिए भी उपयोग में लाया जाता है. यह 35-45 हार्स ट्रैक्टर से चलती है. इस मशीन में चिरने वाले फाल के माध्यम से प्रति एक एकड़ खेती में धान की बुआई की जा सकती है.जुताई करके जीरो टिलेज से बुआई करने पर खरपतवार का प्रकोप अधिक होता है. बुआई के पहले खरपतवारनाशी की उचित मात्रा को खेत में एक समान छिड़कना चाहिए, अन्यथा तमाम खरपतवार नहीं मरते हैं.खेत समतल तथा जल निकासयुक्त होना चाहिए, अन्यथा धान की बुआई के तीन दिन के अंदर जलजमाव होने पर अंकुरण बुरी तरह प्रभावित होता है. बीज अंकुरण के समय पर्याप्त नमी चाहिए, अन्यथा अंकुरण शुरू होकर नमी के अभाव में नई कोपलें मर जाती हैं.
खेती का सीजन शुरू
कृषि विज्ञान केंद्र सेखोदेवरा के प्रमुख सह वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ रंजन कुमार सिंह बताते हैं कि खरीफ मौसम शुरू हो गया है. ऐसे में किसानों को धान की खेती के लिए कई प्रमुख प्रजातियां उपलब्ध हैं, जो जमीन के अनुसार लगाया जाता है. उन्होंने बताया कि ऊपरी जमीन के लिए 95 से 115 दिनों का प्रभात, सहभागी धान, शुष्क सम्राट, वंदना, अंजलि, सीआरधान 40, एनडीआर 97 प्रजाति का उपयोग कर सकते हैं. मध्यम जमीन के लिए 115 से 135 दिनों का हजारीधान, अभिषेक, सहभागी धान, ललाट व सरोज प्रजाति का उपयोग कर सकते हैं. निचली जमीन के लिए 135 से 155 दिनों का एमटीयू 7029 स्वर्णा, स्वर्णा सब-1, बीपीटी 5204, एनडीआर 359, सत्यम, राजेंद्र श्वेता, राजेंद्र मंसूरी 1 तथा राजश्री का उपयोग कर सकते हैं. सुगंधित धान के लिए 130 से 140 दिनों का सुगंधा, राजेंद्र सुवासिनी तथा राजेंद्र कस्तुरी का उपयोग कर सकते हैं. इसके अलावा हाइब्रिड संकर धान 120 से 145 दिनों के लिए एराइज 6444, एराइज 6129, एराइज धानी, एराइज प्राइमा तथा एराइज 6444 गोल्ड का उपयोग कर सकते हैं.
धान में प्रयुक्त होने वाले खरपतवारनाशी
बुआई के पूर्व खरपतवारनाशी दवाओं में ग्लाइफोसेट 42 ईसी को चार से आठ दिन पूर्व प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में 2500 एमएल मिला कर छिड़काव करें.पैराक्वाट 24 ईसी को बुआई के एक-दो दिन पूर्व 500 लीटर पानी में 2000 एमएल पानी घोल बना कर छिड़काव करना चाहिए. - बुआई के तुरंत बाद खर अंकुरण के लिए पेंडीमेथिलीन 30 इसी को नम खेतों में बुआई के एक-दो दिनों के अंदर चार से पांच सौ लीटर पानी में 3330 एमएल को घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
बुआई के 20-25 दिनों पर जमे खरपतवार को हटाने के लिए मेटसल्फ्युरान के साथ क्लोरीम्यूरान 20 डब्लूपी को 15 से 25 दिनों पर पांच सौ लीटर पानी में 20 ग्राम मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. अजीमसल्फ्यूरान 50 डब्लूडीजी को 15 से 20 दिनों पर चार से पांच सौ लीटर पानी में 60 से 70 ग्राम दवा का घोल बना कर छिड़काव करें. बिसपायरिबैकयानि नोमनी गोल्ड 10 प्रतिशत एसपी को 15 से 20 दिनों पर 5 सौ लीटर पानी में 200 से 250 एमएल दवा का घोल बनाकर छिड़काव करें.
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